UCC kya hai? समान नागरिक संहिता की अवधारणा कानून के एक समूह के रूप में की गई है जो धर्म की परवाह किए बिना या धार्मिक मान्यताओं से हटकर सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेन, विरासत, और उत्तराधिकारी सहित व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करता है UCC का लक्ष्य मौजूदा विविध व्यक्तिगत कानून को बदलना है जो धार्मिक संबद्धता के आधार पर भिन्न होते हैं आसान भाषा में कहा जाए तो हिंदू समुदाय के लोगों के लिए अलग मुस्लिम समुदाय लोगों के लिए अलग और ईसाई समुदाय लोगों के लिए जो अलग-अलग कानून है वह सभी कानून उच्च के अंतर्गत आएंगे जिसमें सभी नागरिकों के एक समान कानून होंगे।
आजादी के बाद से ही UCC मतलब यूनिफॉर्म सिविल कोड सामान्य नागरिक संहिता की मांग की जा रही है पर कुछ वरिष्ठ नेताओं या फिर विचार को की वजह से यह अभी तक लागू नहीं किया जा सका पहले से ही सरकार का कहना है कि एक देश एक कानून होना चाहिए पर यह अभी तक भारत के सिर्फ एक राज्य में ही हो पाया जिसका नाम गोवा है
आखिर भारत में क्यों लागू नहीं हो पाया UCC
समान नागरिक कानून का जिक्र पहली बार 1835 में ब्रिटिश काल में किया गया था उसे समय ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अपराधों सबूत और ठेके जैसे मुद्दों पर समान कानून लागू करने की जरूरत है संविधान के अनुच्छेद 44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू होने की बात की गई है लेकिन फिर भी भारत में अब तक इसे लागू नहीं किया जा सका इसका कारण भारतीय संस्कृति की व्यवस्था है यह एक ही घर के सदस्य भी कई बार अलग-अलग रिवाज को मानते हैं आबादी के आधार पर हिंदू बहुसंख्यक है लेकिन फिर भी अलग-अलग राज्यों में उनके रीति-रिवाज में काफी अंतर मिल जाएगा सिख जैन बौद्ध ईसाई और मुसलमान आदि तमाम धर्म के लोगों के अपने-अपने कानून हैं ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता को लागू किया जाता है तो सभी धर्म के कानून अपने आप खत्म हो जाएंगे
किन-किन देशों में नागरिक संहिता कानून लागू है
अगर हम दुनिया की बात करें तो ऐसे तमाम देश है जहां यह कानून लागू इस लिस्ट में अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान, और मिस्र जैसे तमाम देशों के नाम शामिल है यूरोप के कई देशों में है जो एक धर्मनिरपेक्ष कानून को मानते हैं वही इस्लामी देशों में सरिया कानून को मानते हैं
UCC मतलब समान नागरिक संहिता एक सामाजिक मामलों से संबंधित कानून होता है जो सभी पंथ के लोगों के लिए विवाह तालाब भरण पोषण विरासत व बच्चा गोद लेने आदि में समान रूप से लागू होता है दूसरे शब्दों में अलग-अलग पंक्तियों के लिए अलग-अलग सिविल कानून न होना ही समान नागरिक संहिता की मूल भावना है यह किसी भी पथ जाति के सभी निजी कानून से ऊपर होता है
पंडित जवाहरलाल नेहरू क्या कहते थे UCC के बारे में
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने समान नागरिक सहायता का समर्थन किया उन्हें वरिष्ठ नेताओं द्वारा विरोध का सामना करना पड़ा
फिलहाल समान नागरिक संहिता भारत में नागरिकों के लिए एक समान कानून को बनाने और लागू करने का एक प्रस्ताव है जो सभी नागरिकों पर उनके धर्म लिंग और यो अभिरुचि की परवाह किए बिना सामान्य रूप से लागू होगा वर्तमान में विभिन्न समुदाय योग के व्यक्तिगत कानून उनके धर्म ग्रंथो द्वारा शासित होते हैं पूरे देश में समान नागरिकता लागू करना
भारत की सत्ता पार्टी भारतीय जनता पार्टी द्वारा किए गए विवादिस्पद वादों में से एक है यह भारतीय राजनीति में धर्मनिरपेक्षता के संबंध में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और सरिया और धार्मिक रीति-रिवाज की रक्षा में भारत के राजनीतिक एवं पंथी मुस्लिम समूहों और अन्य रूड वादी धार्मिक समूह हो और संप्रदायों द्वारा विवादित बना हुआ है अभी व्यक्तिगत कानून सार्वजनिक कानून से अलग-अलग है इस बीच भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 और 28 भारतीय नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है और धार्मिक समूहों को अपने स्वयं के मामले का प्रबंध करने की अनुमति देता है संविधान का अनुच्छेद 44 भारतीय राज्य से अपेक्षा करता है कि वह राष्ट्रीय नीतियों बनाते समय सभी भारतीय नागरिकों के लिए राज्य की नीति निर्देशक तत्व और समान कानून लागू करें
वहीं भारत के उत्तराखंड राज्य में यह बिल विधानसभा में आया और पास हो गया अब यह बिल राष्ट्रपति कार्यालय जाएगा इसके बाद राष्ट्रपति जी की अनुमति के पश्चात यह राज्य पर लागू कर दिया जाएगा