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इतिहास के पन्नों से :
- gyanvapi temple पहला हमला1194 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया था यह मोहम्मद गौरी के कमांडर थे तब उसके 100 साल बाद गुजरात के कारोबारी ने उसे दोबारा बनवाया
- gyanvapi temple दूसरा हमला 1447 में जौनपुर के सुल्तान मोहम्मद शाह ने किया था उसके बाद टोडरमल राजा ने 1558 में उसे बनवाया
- gyanvapi temple तीसरा हमला 1642 में शाहजहां के आदेश पर हुआ पर हिंदुओं के विरोध के बाद उसे तोड़ा नहीं जा सका उसकी जगह पर 63 अन्य मंदिर तोड़ दिए गए थे
- gyanvapi temple चौथा हमला 1669 में इस मंदिर को तोड़ने के लिए औरंगजेब ने फिर आदेश दिया जिसमें मंदिर को तोड़कर उसे पर मस्जिद बना दिया गई और फिर उसके 100 साल बाद इंदौर के होलकर घराने की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने बनवाया जो आज भी मौजूद है जिसे हम काशी विश्वनाथ मंदिर के नाम से जानते हैं
ASI सर्वे में क्या क्या मिला
ज्ञानवापी परिसर में 14 मई 2022 को सर्वे का शुरू हुआ. हिंदू पक्ष ने अदालत में दावा किया कि सर्वे के दौरान 16 मई को मस्जिद के वुजूखाने में शिवलिंग पाया गया. इसके बाद वुजूखाने का पूरा एरिया सील कर दिया गया. हालांकि मुस्लिम पक्ष ने इसे शिवलिंग नहीं बल्कि एक फव्वारा बताया.
सर्वे किए जाने के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम भी गया, मगर उसे वहां से कोई राहत नहीं मिली. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि एएसआई ऐसे तरीके से सर्वे करे ताकि कोई टूट-फूट न हो. केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया है कि बिना खुदाई और बिना तोड़ फोड़ के सर्वे किया जाएगा.
आखिरकार ASI ने 839 पेज की अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी है. सर्वे में एएसआई ने बहुत बड़ा दावा किया है. उनका दावा है कि ज्ञानवापी परिसर में पहले मंदिर था और मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया.
अपनी रिपोर्ट में एएसआई ने कई सबूत भी पेश किए हैं. सर्वे के दौरान उन्हें एक पत्थर भी मिला है जिसपर मस्जिद के निर्माण का समय 1676-1677 के बीच हुआ बताया गया है. इसके अलावा 1792-93 में मस्जिद के आंगन की मरम्मत की बात कही गई है. ASI की रिपोर्ट को देखते हुए वहा 31 साल बाद हिंदू पक्ष को पूजा करने की अनुमति कोर्ट से मिल चुकी है
क्या कहता है मुस्लिम पक्ष
मुस्लिम पक्ष के जानकारी मौलाना असरात मदनी का कहना है कि जब बादशाह आते थे तो उनके साथ जानकर भी आते थे जैसा कि इस्लाम में किसी दूसरे की जमीन में कब्जा करके उसे पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती तो उसे टाइम पर भी नहीं बनाई गई होगी जो मस्जिद है वह पहले से ही मस्जिद ही होगी और इस पर विवाद खत्म किया जाए
वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष वरशिप एक्ट 1995 का हवाला दे रहे हैं जिसमें 15 अगस्त 1947 के पहले से जो मंदिर हैं या मस्जिद हैं या कोई भी धार्मिक स्थल है उसे नहीं बदला जा सकता ऐसा करने पर आरोपी को 3 साल की सजा और जमाने का भी प्रावधान बना हुआ है हालांकि 6 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मंदिर केस की अगली सुनवाई है जिसे हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष को बेसब्री से इंतजार है